उत्तर प्रदेश सरकार ने 'कुटकुट विकास नीति' के तहत लेयर फार्मिंग की नई योजना चालू की है. 'कुटकुट विकास नीति' के तहत 10,000 और 30,000 पक्षी क्षमता वाले कॉमर्शियल लेयर्स की स्थापना की जानी है. 30,000 क्षमता वाले यूनिट की लागत 1.80 करोड़ रूपये होगी. इसके लिए पांच साल तक 10 फीसद ब्याज पशुपालन विभाग देगा.
इस यूनिट की स्थापना करने के लिए पशुपालक के पास तीन एकड़ जमीन होनी जरूरी है. इसके लिए पूरे धन का 30 फीसद भाग पशुपालक को लगाना होगा. इस तरह से पशुपालक की साल की कमाई लगभग 32 लाख तक हो जाएगी. इसी प्रकार 10,000 पक्षियों वाले यूनिट की स्थापना के लिए 70 लाख रूपये की लागत आएगी. इसके लिए भी 30 फीसद भाग लाभार्थी को ही लगाना होगा.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. टी.के. तिवारी ने कहा की यदि कोई व्यक्ति इस व्यवसाय के लिए एक एकड़ जमीन ख़रीदता है तो उसे स्टेप ड्यूटी नहीं देना होगा. इसके अलावा धारक को मुर्गी पालन सामग्री पर प्रवेश शुल्क भी नहीं देना होगा.
कुटकुट पालन करने वाले पशुपालक (Poultry Farmers)
आगे आने वाले वर्षो में संभावना है की सरकार कुटकुट पालन करने वाले पशुपालको के बिजली बिल में से चार सौ रूपये का भुगतान करेगी. इस योजना के तहत अन्य जिलों से भी आकर लोग लखीमपुरखीरी जिले में लेयर्स फार्म स्थापित कर सकते हैं. योजना के तहत मिलने वाले सभी जिलो को लाभ दिया जाएगा. इस योजना के तहत लाभार्थी अधिकतम दो यूनिटों को एक साथ स्थापित कर सकता है.
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लखीमपुर जिले में प्रतिदिन लगभग 3.5 लाख अंडे कि खपत है लेकिन जिले में अंडे का उत्पादन प्रतिदिन लगभग 40-50 हजार ही है. सरकार की मंशा है की जिले में अंडे का उत्पादन बढ़े जिससे लोगों को कुपोषण एवं भूख से निजात मिले. इसके लिए अंडा सस्ता एवं बेहतर विकल्प हो सकता है. जिले को अंडे के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पशुपालन विभाग ये कदम उठा रहा है.
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